Wednesday, December 30, 2015

नये साल की शुभकामनाऐं..



नए साल कुछ ऐसे आना....

जैसे खोये ख़त मिल जाये,
जैसे सपने सच हो जाए,
अंधियारी लम्बी रातों में,
जैसे तारे राह बताये,

नए साल कुछ ऐसे आना.....
माँ की गोद में सर हो जैसे,
और बरगद की छाया हो,
चाँद उठाये कोई परिंदा,
दूर देश से आया हो,

नए साल कुछ ऐसे आना.....
रेगिस्तान में बादल छाये,
सुखी नदिया भर-भर जाये,
सूरज से तपती धरती पर,
आशा की फसलें पक जायेँ,

नए साल  कुछ  ऐसे  आना…
होली की पिचकारी जैसे,
बच्चों की किलकारी जैसे,
मन खुशियों से भर देना,
मधुबन  की खुश्वारी जैसे, 

नए साल  कुछ  ऐसे  आना…
न्याय मिले जैसे पीड़ित को,
भटके को ज्यों  राह मिले,  
जीवन की सारी खुशियों में,   
भूले बिसरे गाँव मिले,   

नए साल कुछ  ऐसे  आना.....
बिछड़े दोस्त मिले ऐसे की,
जैसे कटी पतंग मिल जाये,
और मिलन का सुख हो ऐसा,
मीत कोई सीने लग जाये,

नए साल  कुछ  ऐसे  आना.....
जुल्म के सब परचम झुक जाये,
दुनिया में शोषण रुक जाये,
सद्बुद्धी आये सत्ता को,
कोई न अपना मन गवायें,

नए साल  कुछ  ऐसे  आना.....
बच्चो की मुठी में तारे,
अँधियारे जब हारे सारे,
सब अपनी मंजिल पा जाये,
सबके हों बस वारे न्यारे,

नए साल  कुछ  ऐसे  आना.....
याद  करें जब-जब भी तुमको,
चेहरों पर मुस्कान  खिले बस,
बात करें जब-जब भी तेरी,
नए वर्ष का गान हो केवल,

नए साल  कुछ  ऐसे  आना......!!

Monday, December 21, 2015

मेरा चाल-चलन ठीक नहीं






कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नहीं,,

जो ये कहते हैं मेरा चाल-चलन ठीक नहीं..!!

झूठ को सच में बदलना भी हुनर है लेकिन,,

अपने ऐबों को छुपाने का ये फन ठीक नहीं..!!

उनकी नीयत में ख़लल है तो घर से ना निकलें,,

जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं..!!

तेज़ बारिश में ये मिट्टी का बदन ठीक नहीं..!!

शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी,,

जो लिबासों को बदलने का शौक़ रखते थे,,

हर गली चुप सी रहे, और रहें सन्नाटे,,

मेरे इस मुल्क में ऐसा भी अमन ठीक नहीं..!!

आखरी वक़्त ना कह पाए क़फ़न ठीक नहीं..!!

"जो ये कहते हैं मेरा चाल चलन ठीक नहीं......"!!

"कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नही....."