कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नहीं,,
जो ये कहते हैं मेरा चाल-चलन ठीक नहीं..!!
झूठ को सच में बदलना भी हुनर है लेकिन,,
अपने ऐबों को छुपाने का ये फन ठीक नहीं..!!
उनकी नीयत में ख़लल है तो घर से ना निकलें,,
जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं..!!
तेज़ बारिश में ये मिट्टी का बदन ठीक नहीं..!!
शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी,,
जो लिबासों को बदलने का शौक़ रखते थे,,
हर गली चुप सी रहे, और रहें सन्नाटे,,
मेरे इस मुल्क में ऐसा भी अमन ठीक नहीं..!!
आखरी वक़्त ना कह पाए क़फ़न ठीक नहीं..!!
"जो ये कहते हैं मेरा चाल चलन ठीक नहीं......"!!
"कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नही....."